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इश्क, मोहब्बत

आज दिनांक २३.१.२४ को प्रदत्त विषय ' इश्क ' पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
इश्क, मोहब्बत

हर रिश्ते मे होती है मुहब्बत,बिन मुहब्बत तो दिखावा है,
मात-पिता से, भाई-बहन से मित्रों से मुहब्बत ही बढ़ावा है  

पुरुष मित्र और स्त्री मित्र को मित्रता कहना धोखा है,
मित्रता की आड़ मे चलता अनुचित रिश्ता  धोखा है ।

मुहब्बत एक इबादत समान है, ईश्वर से मिलता है सम्मान,
दीन-दुखी से करो मुहब्बत जग मे मिलता इससे मान ।

मुहब्बत नहीं शारीरिक होती,आत्मिक प्यार ही यह होता,
एक दूजे  के दुःख मे ये मित्र सदा सहायक होता ।

नहीं कोई स्वार्थ भावना होती,सिर्फ़ त्याग ही रहता है,
दोनो ओर प्रेम पलता है,त्याग दर्शनीय होता है ।

यथा राम जी ने अपने  अनुपम प्यार को दिखलाया,
विमाता कैकयी और भरत भाई से जगती मे गौरव पाया ।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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9 Comments

Mohammed urooj khan

24-Jan-2024 02:01 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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सुन्दर सृजन

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Punam verma

24-Jan-2024 08:03 AM

Nice👍

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